उत्तर प्रदेशबहराइच

ईद मिलन समारोह में दिखी सामाजिक सौहार्द की अनूठी मिसाल

अब तो मजहब भी कोई ऐसा चलाया जाए,जिसमें इंसान को इंसान बनाया जाए।

बहराइच। अब तो मजहब भी कोई ऐसा चलाया जाए,जिसमें इंसान को इंसान बनाया जाए।”सामाजिक सद्भावना मंच, जरवल के तत्वावधान में आयोजित ईद मिलन समारोह हर्षोल्लास एवं आपसी सौहार्द के साथ संपन्न हुआ। कार्यक्रम का संचालन मास्टर अलीम अहमद द्वारा किया गया।समारोह में शिक्षक रवींद्र ने आपसी प्रेम और भाईचारे को समाज की सबसे बड़ी आवश्यकता बताया। फैजाबाद से पधारे शिक्षक अनंतराम ने संविधान में निहित मूल्यों और सामाजिक एकता पर सारगर्भित विचार रखे तथा एक भावपूर्ण अवधी गीत की प्रस्तुति देकर उपस्थित जनसमूह को भाव-विभोर कर दिया।

राजकीय शिक्षक सम्मान प्राप्त पूरनलाल चौधरी ने अपने वक्तव्य में कहा कि, “देश को तोड़ने वालों की संख्या बहुत कम है, परंतु हमें आपसी सौहार्द्र बनाए रखते हुए ऐसे तत्वों का डटकर सामना करना होगा।”आजमगढ़ से आए शिक्षक विनय श्रीवास्तव ने कहा, “बहराइच आकर हमारी कई भ्रांतियां दूर हुईं। यहां मुस्लिम समाज की सहयोगी एवं स्नेहिल प्रवृत्ति ने दिल को छू लिया।”

कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित बौद्धाचार्य उमाशंकर बौद्ध ने महात्मा बुद्ध की जीवन गाथा सुनाते हुए प्रेम, त्याग और करुणा का संदेश दिया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एडवोकेट अकरम खान ने तार्किक और प्रभावशाली उद्बोधन में कहा, “हम सभी एक ही ईश्वर की संतान हैं, हमारे जन्म में कोई भेद नहीं, तो विचारों में भेद क्यों? देश की सीमाएं समय के साथ बनती और बदलती रहती हैं। आज की सरहदें कल बदल सकती हैं, लेकिन प्रेम और मानवता की भावना स्थायी होनी चाहिए। हमारा दायित्व है कि हम घृणा को समाप्त कर प्रेम और एकता पर आधारित समाज का निर्माण करें।”कार्यक्रम के अंत में मास्टर अब्दुल मोमिन ने सभी आगंतुकों का आभार व्यक्त किया और उन्हें इस्लाम धर्म से संबंधित पुस्तकें सप्रेम भेंट कीं।

इस समारोह में हाफिज अबरार, रज्जब अली, मास्टर फखरुल इस्लाम, मास्टर रिजवान अहमद बब्बू, मास्टर विजय कुमार, हामिद अली, मोहम्मद सलमान, अलीम होटल वाले, मास्टर फुरकान, वीरेंद्र सरवरिया सहित सैकड़ों गणमान्य लोग उपस्थित रहे।अन्त में सभी आगंतुकों को सेंवइयों व मिठाइयों से सम्मानपूर्वक स्वागत कर प्रेमपूर्वक विदा किया गया। समारोह ने सामाजिक एकता और सांप्रदायिक सौहार्द की एक मिसाल प्रस्तुत की।

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